GST बिल क्या है, और यह आम आदमी की जिंदगी को कैसे प्रभावित करेगा?
राज्य सभा ने GST बिल को 3 अगस्त, 2016 को पास कर दिया है जबकि लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी है | कुछ और औपचारिकताओं के बाद यह बिल एक कानून बन जायेगा| यह कर सभी मौजूदा अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा | इससे देश में वस्तुओं की कीमतों के घटने के साथ साथ सकल घरेलु उत्पाद में भी 2% की वृद्धि होने का अनुमान है | सरकार द्वारा इसे 1 अप्रैल 2017 से सम्पूर्ण देश में लागू करने का लक्ष्य रखा गया है| इस लेख में हमने यह बताने का प्रयास किया है कि इस कर के लागू होने के बाद कौन सी वस्तुएं महँगी होगी और कौन सी सस्ती, यह कर किस तरह से काम करेगा तथा इसको लागू करने में सरकारों के सामने कौन सी चुनौतियाँ हैं |
GST बिल क्या है? (What is GST Bill?):-
GST बिल, भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) कानून है। जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। GST बिल लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स, वस्तु और सेवाओं पर लगने वाला सेस और सरचार्ज आदि GST में समाहित हो जाएंगे। अब पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर (GST) लगेगा।
क्यों जरूरी है वस्तु एवं सेवा कर (Why GST Bill is Important ?):-
भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। वर्तमान कर व्यवस्था के अंतर्गत जब व्यापारी उत्पादन करता है तो उत्पादन कर, निर्यात करता है तो सीमा शुल्क और जब देश के अन्दर वस्तु को बेचता है तो बिक्री कर देता है | इस प्रकार वर्तमान व्यवस्था के अन्दर उसे हर चरण में कर देना पड़ता है | अर्थात भारत की वर्तमान कर व्यवस्था के अंतर्गत टैक्स के ऊपर टैक्स लगाया जाता है, (इसे कास्केडिंग इफ़ेक्ट कहते हैं) | अतः सरकार का वस्तु एवं सेवा कर को लाने का मुख्य उद्येश्य इन सभी अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करके पूरे देश में एक ही प्रकार का कर लगाना है |
GST की संरचना कैसी है?
ऐसे काम करेगा GST :
पहला चरण : (विनिर्माण)
1. एक उद्यमी 100 रूपये की कीमत का चमड़ा खरीदता है |
2. इसमें 10 रूपये का अप्रत्यक्ष कर भी शामिल है |
3. वह इस चमड़े से जूता तैयार करता है |
4. इसमें लागत आती है 30 रुपये |
5. जूता तैयार होने पर वह कीमत रखता है 130 रुपये |
6. अब इस पर 10% का कर लगता है |
7. मौजूदा कीमत पर 10% के हिसाब से कर हुआ 13 रुपये |
8. चूँकि 10 रुपये का कर वह चमड़ा खरीदते समय दे चुका था इसलिए अब वह कर देगा:13-10= 3 रुपये |
दूसरा चरण: (थोक विक्रेता):
1. अब जूता पंहुचा थोक विक्रेता के पास | उसने जूता खरीदने के लिए चुकाए 130 रुपये |
2. इसमें 20 रूपये का अपना मुनाफा जोड़ा और कीमत तय की 150 रुपये |
3. अब यहाँ 150 पर लगेगा 10% का कर= 15 रुपये |
4. चूँकि 13 रूपये का कर भुगतान वह पहले ही कर चुका है इसलिए वह कर देगा=15 -13 = 2 रूपये का GST |
तीसरा चरण: (खुदरा व्यापारी):-
1. थोक विक्रेता ने रिटेलर (खुदरा व्यापरी) को जूता बेचा 150 रूपये में |
2. रिटेलर ने इसकी पैकिंग की और अपना मुनाफा जोड़ा 10 रूपये| अब कीमत हो गयी 160 रूपये |
3. इस 160 पर लगेगा 10% का कर , जो कि हुआ 16 रूपये|
4. थोक विक्रेता के स्तर तक 15 रूपये कर का भुगतान हो चुका है इसलिए अब वह (रिटेलर) कर देगा सिर्फ 16 -15 = 1 रूपये का GST
कुल GST कितना हुआ ?
1. जूते पर तीन चरणों में लगा कुल कर होगा – 10+3+2+1 =16
2. अब जूते की अंतिम कीमत तय हो गयी है:150 +16= 166 रूपये
GST आने के बाद कौन- कौन से कर ख़त्म हो जायेंगे ?
केन्द्रीय कर:-
1. सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
2. ड्यूटीज ऑफ़ एक्साइज (दवाओं और अन्य सम्बंधित उत्पादों पर)
3. एडिशनल ड्यूटीज ऑफ़ एक्साइज (विशेष महत्त्व वाले उत्पादों पर कर)
4. एडिशनल ड्यूटीज ऑफ़ एक्साइज (कपडा और कपडा उत्पादों पर कर)
5. एडिशनल ड्यूटीज ऑफ़ कस्टम
6. सेवा कर
7. वस्तु और सेवाओं पर लगने वाले सेस और सरचार्ज
राज्य कर :-
1. वैट
2. केन्द्रीय बिक्री कर
3. खरीद कर
4. विलासिता कर
5. मनोरंजन कर
6. विज्ञापनों पर लगने वाला कर